bhagwat katha hindi me story,भागवत कथा हिंदी में स्टोरी -10

bhagwat katha hindi me story भागवत कथा हिंदी में स्टोरी [ भाग-10,part-10 ] ॥ द्वितीय स्कन्धः॥ (साधन) शुकदेवजी परीक्षित के इन प्रश्नों पर विमुग्ध हो गये। गद्गद् होकर बोले-- वरीयानेष ते प्रश्नः कृतो लोकहितो नृप । आत्मवित्सम्मतः पुंसां श्रोतव्यादिषु यः परः ॥ (भा. 2/1/1) देखिये! डकार उसी की आयेगी, जो आपके भीतर भरी होगी। मली खाकर आयें हैं, तो मूली की डकार अपने आप बता देती है कि मुली खाकर बैठे हैं। शुकदेवजी का जो प्रथम अक्षर मुख से निकला, वह भी ब्रह्म का ही बीज निकला। व-कार जो है, वह ब्रह्म का बीज है। और शुकदेवजी के मुख से पहला व-कार ही निकला, वरीयानेष ते प्रश्नः' व शब्द पहले निकला, क्योंकि ब्रह्म का बीज व है और ब्रह्मानन्द शुकदेवजी के भीतर भरा है। शुकदेव बाबा कहते हैं, परीक्षित ! ये प्रश्न तुमने अपने लिये नहीं किया है। यदि परीक्षित ये पूछते कि महाराज ! मैं सातवें दिन मरने वाला हूँ, कुछ बचने का उपाय बतलाओ तो ये व्यक्तिगत प्रश्न होता। परीक्षित का प्रश्न ये है कि मरने वाले को क्या करना चाहिये? तो मरने वाले कोई परीक्षित अकेले थोड़े-ही हैं? इसका...